अजय देवगन बना रहे है गलवान घाटी की घटना पर फिल्म, पर्दे पर दिखाएंगे शूरवीरों का शौर्य
बॉलीवुड अभिनेता-निर्माता अजय देवगन (Bollywood actor-producer Ajay Devgan) लद्दाख के गलवान घाटी (announce a film based on Galvan Valley of Ladakh) में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर किए गए हमले के आधार पर एक फिल्म बनाने की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। फिल्म को लेकर मिली जानकारी के अनुसार, इसमें 20 भारतीय सेना के जवानों ( 20 Indian Army) के बलिदान की कहानी सुनाई जाएगी, जिन्होंने चीनी सेना (Chinese Army) का मुकाबला किया था। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अजय फिल्म में अभिनय करेंगे या नहीं। कलाकारों और अन्य क्रू टीम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। फिल्म को अजय देवगन एफफिल्म्स और सेलेक्ट मीडिया होल्डिंग्स एलएलपी द्वारा सह-निर्मित किया जाएगा। आपको बता दें कि 15 जून को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी थी। साल 1975 के बाद भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ टकराव का पहला मामला था। तब अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों ने भारतीय गश्ती दल पर हमला किया था।
ओटीटी पर आएगी 'भुज'
अजय देवगन के वर्कफ्रंट की बात करें तो वह जल्द ही 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' के साथ आ रहे हैं। इस फिल्म में संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, एमी विर्क और शरद केलकर भी हैं। वहीं फिल्म अभिषेक दुधैया लिखित और निर्देशित है। फिल्म को जल्द ही एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप से प्रीमियर किया जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, डिज्नी हॉटस्टार ने 'भुज' के लिए 112 करोड़ रुपये दिए है, जिसे मेकर्स के लिए फायदा का सौदा माना जा रहा है। इसी के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली ये दूसरी हाइएस्ट डील वाली फिल्म बन गई है। इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि 'लक्ष्मी बॉम्ब' के डिजिटल राइट्स 125 करोड़ रुपये में बेचे गए हैं। हालांकि ये फिल्में यदि थियेटर में रिलीज होतीं तो शायद इससे ज्यादा कमा सकती थीं। लेकिन ट्रेड पंडितों की मानें तो कोरोना के माहौल में यह एक अच्छा निर्णय है। फिल्म बजट निकाल चुकी है और अभी सैटेलाइट और म्यूजिक राइट्स से भी कमाई होनी बाकी है।
भारत-पाक युद्ध पर आधारित ये फिल्म
साल 1971 के भारत - पाकिस्तान के लांगेवाला युद्ध पर आधारित होगी। विजय कार्णिक, उनकी टीम और भुज की स्थानीय 300 महिलाओं की वजह से भारतीय वायु सेना की एयरस्ट्रिप की मरम्मत की जा सकी थी और पाकिस्तान को जवाब दिया जा सका। इसे भारत का पर्ल हार्बर मोमेंट भी कहा जाता है।
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